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|रचनाकार=घनश्याम नाथ कच्छावा
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
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<Poem>जीवण
जियां-
भोबर रै मांय
बळतो बाटियो।

भोबर री आंच
इणनैं सेकै
अर
सिकियां पछै इज
खावण रै मांय
लागै सुवाद बाटियो।

इण तरियां
दुनियां री भोबर मांय
सांच री आंच माथै
तपियां पछै
बाटियां रै जियां
जीवण निखरै
अर
इण निखर्यै जीवण नैं
पछै सगळी दुनियां निरखै।</poem>
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