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|रचनाकार=घनश्याम नाथ कच्छावा
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
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<Poem>जीवण
जियां-
मोबाइल रो सैट
अर
‘सिम’ इणरी आतमा
सांसां सूं रिचार्ज
हुवै आ काया।

मोबाइल सैट-सी
बणी
इण मिनखाजूण सूं
मिनखपणै री ‘रिंगटोन’
गायब हुयगी
अबै
जीवण रो मोबाइल
खाली सांसां रो
खोळियो हुय’र
बिना चेतना रै पाण
‘वायबरेशन’ रै माथै इज
पड़्यो है।</poem>
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