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<poem>
छह बच्चों की माँ है तो क्या,
समधिन मेरी रसभीनी है।
समधिन मेरी रसभीनी है।
दिख जाती-चांद चाँद निकलता है
छिप जाती-नेह पिघलता है
सतराती-सिट्टी गुम होती