भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
 
				Changes
				
					Kavita Kosh से
					
										
					
					14 bytes added, 
05:26, 16 मई 2014 
|रचनाकार=कृष्णदास
}}
[[Category:पद]]{{KKCatPad}}<poeMpoem>कंचन मनि मरकत रस ओपी .ओपी।नन्द सुवन के संगम सुखकर अधिक विराजति गोपी.गोपी।।मनहुँ विधाता गिरिधर पिय हित सुरतधुजा सुख रोपी.रोपी।बदनकांति कै सुन री भामिनी! सघन चन्दश्री लोपी.लोपी।।प्राणनाथ के चित चोरन को भौंह भुजंगम कोपी.कोपी।कृष्णदास स्वामी बस कीन्हे,प्रेम पुंज को चोपी.चोपी।।<poeM/poem>