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{{KKRachna
|रचनाकार=देवकरण जोशी
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>चालै पून
सरण-सरण
उडै रेत
फरण-फरण
छोटो-सो
तिणकलो
रोकै
उडती रेत नैं
थोड़ी-सी रेत
थम ई जावै
पण
ओ कांई ?
बणग्यो बठै
टिबडिय़ो
सिंझ्या तांई।</poem>
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|रचनाकार=देवकरण जोशी
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
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<Poem>चालै पून
सरण-सरण
उडै रेत
फरण-फरण
छोटो-सो
तिणकलो
रोकै
उडती रेत नैं
थोड़ी-सी रेत
थम ई जावै
पण
ओ कांई ?
बणग्यो बठै
टिबडिय़ो
सिंझ्या तांई।</poem>