भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विद्यापति |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatMaithiliR...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विद्यापति
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>
हम जुवती, पति गेलाह बिदेस। लग नहि बसए पड़उसिहु लेस।
सासु ननन्द किछुआओ नहि जान। आँखि रतौन्धी, सुनए न कान।
जागह पथिक, जाह जनु भोर। राति अन्धार, गाम बड़ चोर।
सपनेहु भाओर न देअ कोटबार। पओलेहु लोते न करए बिचार।
नृप इथि काहु करथि नहि साति।
पुरख महत सब हमर सजाति॥
विद्यापति कवि एह रस गाब। उकुतिहि भाव जनाब।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits