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जनम भूमि अछि मिथिला सम्हारु हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
माँ बच्चे सँ महिमा जनई छी
अम्बे-अम्बे कट हरदम रटई छी
शक्तिशाली अपन महिमा देखाऊ हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
अछि बीच भंवर में नाब डुबल
ओकर कियौ ने खबनहारी हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
अछि बालक आहाँके दुआरे पर ठार
ओकर विद्या के भरि दीप भण्डार हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
</poem>
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जनम भूमि अछि मिथिला सम्हारु हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
माँ बच्चे सँ महिमा जनई छी
अम्बे-अम्बे कट हरदम रटई छी
शक्तिशाली अपन महिमा देखाऊ हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
अछि बीच भंवर में नाब डुबल
ओकर कियौ ने खबनहारी हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
अछि बालक आहाँके दुआरे पर ठार
ओकर विद्या के भरि दीप भण्डार हे माँ
कनि आबि अपन नैहर निहारु हे माँ
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