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<poem>
फल फलित होय फलरूप जाने ।
देखिहु ना सुनी ताहि की आपुनी, काहु की बात कहो कैसे जु माने ॥१॥
ताहि के हाथ निर्मोल नग दीजिये, जोई नीके करि परखि जाने ।
सूर कहें क्रूर तें दूर बसिये सदा, श्री यमुना जी को नाम लीजे जु छाने ॥२॥
</poem>
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