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मौन / पुष्पिता

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<poem>
प्रेम में
अपनी आँखों में
देखती है वह - प्रिय के नयन
और अनुभव करती है - सुख
- गिरा अनयन, नयन बिनु बानी -
अपने ही अधरों में
अनुभव करती है - प्रिय-प्रणय-स्वाद

अपने शब्दों की
व्यंजना में महसूस करती है -
प्रिय-प्रणय-अभिव्यंजना...

अपनी स्पर्शाकांक्षा में
सुनती है - प्रिय के शब्द
और चुप हो जाती है
संप्रेषण के लिए - प्रिय को
प्रिय की तरह
मौन ही
</poem>
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