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}}
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<poem>
प्रेम
धरती के अनोखे
पुष्प-वृक्ष की तरह
खिला है
तुम्हारे भीतर
अधर
चुनना चाहते हैं
वक्ष धरा पर खिले
पुष्प को।
जिसमें
तुम्हारी मन-माटी की सुगन्ध है
अद्भुत।
तुम्हारे
ओठों के तट से
पीना चाहती हूँ
प्रेम-अमृत-जल
शताब्दियों से उठी हुई
प्यार की प्यास
बुझाने के लिए।
</poem>
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प्रेम
धरती के अनोखे
पुष्प-वृक्ष की तरह
खिला है
तुम्हारे भीतर
अधर
चुनना चाहते हैं
वक्ष धरा पर खिले
पुष्प को।
जिसमें
तुम्हारी मन-माटी की सुगन्ध है
अद्भुत।
तुम्हारे
ओठों के तट से
पीना चाहती हूँ
प्रेम-अमृत-जल
शताब्दियों से उठी हुई
प्यार की प्यास
बुझाने के लिए।
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