भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पुष्पिता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पुष्पिता
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दरवाज़े
बने होते हैं
दस्तकों के लिए।
दस्तक से
तड़प उठते हैं
किवाड़ के रोम-रोम।
दरवाज़े
सुनना जानते हैं दस्तक
पर चुप रहते हैं
गरीब के सपनों की तरह।
दरवाज़े
जानते हैं
दस्तकों की भाषा।
सुनवाई
न होने पर
दरवाज़े छोड़ देते हैं दीवारें
और दीवारों के घर।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=पुष्पिता
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दरवाज़े
बने होते हैं
दस्तकों के लिए।
दस्तक से
तड़प उठते हैं
किवाड़ के रोम-रोम।
दरवाज़े
सुनना जानते हैं दस्तक
पर चुप रहते हैं
गरीब के सपनों की तरह।
दरवाज़े
जानते हैं
दस्तकों की भाषा।
सुनवाई
न होने पर
दरवाज़े छोड़ देते हैं दीवारें
और दीवारों के घर।
</poem>