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सोन चिरैया / पुष्पिता

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'पोयसी'
सूरीनाम की सोन चिरैया
सबाना रेत-माटी से
स्वर्ण को खोद निकालने वाली
मजदूरों से आँख चुरा
चुरा ले जाती है भूगर्भी दमकता स्वर्ण
जैसे किंगफिशर
पानी से चुरा लेता है मछली।

सोन चिरैया 'पोयसी' के
चुराए स्वर्ण के टुकड़ों से
चुराती हैं महिलाएँ स्नेह-स्वर्ण।

अपने प्रवासी प्रिय की
मन की अँगूठी के लिए
'हीरे' की सगाई-अँगूठी
एक जगमगाती धवल तारिका।
</poem>
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