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03:58, 29 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनिता भारती
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
रुखसाना
तेज आवाज के साथ
रात भर बरसा पानी
शरणार्थी कैंप के टैंट में सोते
बच्चों की कमर उस
निर्लज्ज पानी में डूब गई
सब रात में ही अचकचा कर उठ बैठे
बच्चों के पास अब कल के लिए सूखे कपड़े नही है
रुखसाना
तुम्हारी आँखों के बहते पानी ने
कई आंखों के पानी मरने की कलई खोल दी है.
</poem>