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{{KKAarti|रचनाकार=पं. श्रध्दाराम शर्मा KKDharmikRachna}}{{KKCatArti}}[[चित्र:Visnu_jagadeesh.jpg]]<poem> ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे॥भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
तुम पूरण परमात्माकरुणा के सागर, तुम अंतरयामी ।<br>पालनकर्ता॥पारब्रह्म परमेश्वर, मैं सेवक तुम सब के स्वामी ॥<br><br>, कृपा करो भर्ता॥
तुम करुणा के सागरहो एक अगोचर, तुम पालनकर्ता ।<br>सबके प्राणपति॥मैं सेवक तुम स्वामीकिस विधि मिलूँ दयामय, कृपा करो भर्ता ॥<br><br>तुमको मैं कुमति॥