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{{KKGlobal}}
{{KKAarti|रचनाकार=KKDharmikRachna}}{{KKCatKavitaKKCatArti}}{{KKAnthologyGanesh}}<poem> जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।[[चित्र:Ganapati.jpg]]माता जाकी पारवती पिता महादेवा॥
अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया <br>बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।<br>माया॥ ' सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा<br> जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥<br>देवा॥<br/poem>