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जय संतोषी माता / आरती

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{{KKAarti|रचनाकार=KKDharmikRachna}}{{KKCatArti}}[[चित्र:Santoshi_mata.jpg]]<poem> जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता।मैया जय सन्तोषी माता।
जय सन्तोषी मातासुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो, मैया जय सन्तोषी माता ।<br>अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।<br>माँ धारण कींहोहीरा पन्ना दमके तन शृंगार कीन्हो, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्होगेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे, मैया माँ धारण कींहो<br>बदन कमल सोहेहीरा पन्ना दमके तन शृंगार कीन्होमंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहे, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहेस्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर डुले प्यारे, मैया बदन कमल सोहे<br>चँवर डुले प्यारेमंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहेधूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारे, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
स्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर डुले प्यारेगुड़ और चना परम प्रिय ता में संतोष कियो, मैया चँवर डुले प्यारे<br>ता में सन्तोष कियोधूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारेसंतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
गुड़ और चना परम शुक्रवार प्रिय ता में संतोष कियोमानत आज दिवस सो ही, मैया ता में सन्तोष कियो<br>आज दिवस सो हीसंतोषी कहलाई भक्तन विभव दियोभक्त मंडली छाई कथा सुनत मो ही, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सो हीमंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई, मैया आज दिवस सो ही<br>भक्त मंडली मंगल ध्वनि छाई कथा सुनत मो हीबिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाईभक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै, मैया मंगल ध्वनि छाई<br>अंगीकृत कीजैबिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाईजो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजैदुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये, मैया अंगीकृत कीजै<br>संकट मुक्त कियेजो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजैबहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त कियेध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायो, मैया संकट मुक्त किये<br>मनवाँछित फल पायोबहु धन धान्य भरे पूजा कथा श्रवण कर घर सुख सौभाग्य दियेआनन्द आयो, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
ध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायोचरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे, मनवाँछित फल पायो<br>मैया रखियो जगदम्बेपूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयोसंकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br>माता।
चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे, मैया रखियो जगदम्बे<br>संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे, मैया जय सन्तोषी माता ।<br><br> सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे, मैया जो कोई जन गावे<br>ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे, मैया जय सन्तोषी माता ।माता।</poem>
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