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|रचनाकार=गगन गिल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
प्रेम तो नहीं है यह लड़की
देखती हो हर किसी को
एक ही निगाह से
आँखों में आँखे डाल
उंडेलकर सारा मन और आत्मा
जब कि दोस्त बैठा है तुम्हारे पास
दोस्त जब पूछेगा मछली
समुंदर में कितना पानी
क्या जबाब दोगी?
दोस्त जब पूछेगा लड़की
कोई खाली कोना है भी तुम्हारे पास
मुझे देने के लिए
क्या जवाब दोगी?
कि देखती हो जहां भी
वही वह दिखाई देता है
कि उसके पास होने का सुख
तुमसे संभले नहीं बन रहा?
वह कैसे जानेगा लड़की
तुम्हारा सुख?
उसकी स्मृति में तो तुम्हारा चेहरा
बहुत उदास है,
बहुत अकेला
तुम्हारे माथे में खिलती धूप
वह कैसे बूझेगा लड़की?
देखती हो हर किसी को तुम
एक ही निगाह से
प्रेम तो नहीं है यह?
</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
प्रेम तो नहीं है यह लड़की
देखती हो हर किसी को
एक ही निगाह से
आँखों में आँखे डाल
उंडेलकर सारा मन और आत्मा
जब कि दोस्त बैठा है तुम्हारे पास
दोस्त जब पूछेगा मछली
समुंदर में कितना पानी
क्या जबाब दोगी?
दोस्त जब पूछेगा लड़की
कोई खाली कोना है भी तुम्हारे पास
मुझे देने के लिए
क्या जवाब दोगी?
कि देखती हो जहां भी
वही वह दिखाई देता है
कि उसके पास होने का सुख
तुमसे संभले नहीं बन रहा?
वह कैसे जानेगा लड़की
तुम्हारा सुख?
उसकी स्मृति में तो तुम्हारा चेहरा
बहुत उदास है,
बहुत अकेला
तुम्हारे माथे में खिलती धूप
वह कैसे बूझेगा लड़की?
देखती हो हर किसी को तुम
एक ही निगाह से
प्रेम तो नहीं है यह?
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