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{{KKGlobal}}
{{KKAarti|रचनाकार=KKDharmikRachna}}{{KKCatArti}}[[चित्र:Siya_ram.jpg]]<poem> जयति जयति वन्दन हर कीगाओ मिल आरती सिया रघुवर की॥
जयति जयति वन्दन हर भक्ति योग रस अवतार अभिरामकरें निगमागम समन्वय ललाम।सिय पिय नाम रूप लीला गुण धामबाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम।हो रही सफल काया नारी नर की<BR>गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥<BR><BR>की॥
भक्ति योग रस अवतार अभिराम<BR>करें निगमागम समन्वय ललाम ।<BR>सिय पिय नाम रूप लीला गुण धाम<BR>बाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम ।<BR>हो रही सफल काया नारी नर की<BR>गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥<BR><BR> गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश<BR>जाके उर बसे ताके मोह तम नाश ।<BR>नाश।जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास<BR>ताके होए माया मोह सब ही विनाश ॥<BR>विनाश॥पावे रति गति मति सिया वर की<BR>गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥की॥</poem>
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