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{{KKGlobal}}
{{KKAarti|रचनाकार=KKDharmikRachna}}{{KKCatArti}}<poem>भागवत भगवान की है आरतीपापियों को पाप से है तारती॥
भागवत भगवान की है आरती<BR>यह अमर ग्रंथ पापियों यह मुक्ति पंथसन्मार्ग दिखाने वालाबिगड़ी को पाप से है तारती ॥<BR><BR>बनाने वाला॥
यह अमर ग्रंथ <BR>यह मुक्ति पंथ<BR>सन्मार्ग दिखाने वाला<BR>बिगड़ी को बनाने वाला ॥<BR><BR> यह सुख करनी <BR>यह दुख हरनी<BR>जगमंगल की है आरती<BR>पापियों को पाप से है तारती ॥तारती॥</poem>
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