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{{KKAarti|रचनाकार=KKDharmikRachna}}{{KKCatArti}}<poem>बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ..<BR>जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम।<BR>अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम॥ बारम्बार..<BR>.प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम।<BR>सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम॥ बारम्बार ..<BR>.चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम।<BR>चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम॥ बारम्बार..<BR>.देवि देव! दयनीय दशा में दया-दया तब नाम।<BR>त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल शरण रूप तब धाम॥ बारम्बार..<BR>.श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या श्री क्लीं कमला काम।<BR>कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम॥ बारम्बार...
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