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<poem>
(राग आसावरी)

भली है राम-नाम की ओट।
जिन्ह लीन्हीं तिनके मस्तक तें पड़ी पाप की पोट॥
राम-नाम सुमिरन जिन्ह कीन्हो लगी न जम की चोट।
अन्तःकरन भयो अति निरमल, रही तनिक नहिं खोट॥
राम-नाम लीन्हें तें जर ग‌इ माया-ममता-मोट।
राम-नाम तें मिले राम, जग रह गयो फोकट-फोट॥
</poem>
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