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Kavita Kosh से
और नदियां, पर्वत, शहर, गांव
वैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखें
अनमने रहें ।रहें।
यदि तुम यह नहीं मानते
तो मुझे तुम्हारे साथ
न ज्ञान
न चुनाव
कागज पर लिखी कोई भी इबारत
फाड़ी जा सकती है