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डर / सुशान्त सुप्रिय

18 bytes removed, 11:32, 7 जून 2014
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तुम डरते हो
::तेज़ाबी-बारिश से ::ओज़ोन-छिद्र से
मैं डरता हूँ
::विश्वासघात के सर्प-दंशों से ::बदनीयती के रिश्तों से
तुम डरते हो
:::रासायनिक हथियारों से ::परमाणु-बमों से
मैं डरता हूँ
::मूल्यों के खो जाने से ::आत्मा पर लगे कलंक से
तुम डरते हो
::एड्स से ::कैंसर से ::मृत्यु से
मैं डरता हूँ
::उन पलों से ::जब जीवित होते हुए भी :: मेरे भीतर कहीं कुछ :: मर जाता है 
</poem>
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