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Kavita Kosh से
जानती हूँ भस्म कर देगी
वो प्रथम दृष्टि भास्कर की
जब होगा प्रभात का आगमन स्न्गिध सोंदर्य सौंदर्य के साथ
और शंखनाद तब होगा
घंटियाँ बज उठेंगी