भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=सन्धानम / राधावल्लभ त्रिपाठी
}}
KKCatSanskritRachna
<Poem>
हमारे देश की सरस्वती को
ले गए अंग्रेज़अँग्रेज़
महाराज भोज ने बनवाया था जिसे
गौरवमय वह सरस्वती
वज़्र की तरह कठोर शब्दों में
हिल उठी सभा
फिर विष्ण्ण और क्षुब्ध हुई।हुई ।कुछ लोगों की आँखों में तो आ ही गए आँसू।आँसू ।
तत्काल उन्होंने असंकल्प किया
कि लौटाकर लाएंगे लाएँगे सरस्वती को
प्रस्ताव के पारित होते ही
पिटीं तालियाँ
तुमुल उस कोलाहल को सुनकर
जन-जन के मन में बसी
शुभ्र सरस्वती देवी हँसी।हँसी ।
</poem>