|रचनाकार=लक्ष्मीकान्त मुकुल
|अनुवादक=
|संग्रह=लाल चोंच वाले पंछी / लक्ष्मीकान्त मुकुल
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किसी वारदात का वहां अता-पता तक नहीं
चमघींचवा खुश दिख रहा है इन दिनों
उध्ेड़ते उधेड़ते हुए मरे पशुओं की आखिरी खाल
हड्डी बीनने वाले लोग
अदहन पर चढ़ी दाल में नमक सिझा रहे हैं