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|रचनाकार=पूर्णिमा वर्मन
}}
[[Category:गीत]]{{KKCatGeet}}<poem>दिन भर गठरी <br>कौन रखाए<br>माया में मन कौन रमाए<br>दुनिया ये आनी जानी है<br>ज्ञानी कहते हैं फ़ानी है<br>चलाचली का-<br>खेला है तो<br>जग में डेरा कौन बनाए<br>माया में मन कौन रमाए<br>कुछ न जोड़े संत फ़कीरा<br>बेघर फिरती रानी मीरा<br>जिस समरिधि में-<br>इतनी पीड़ा<br>उसका बोझा कौन उठाए<br>माया में मन कौन रमाए<br><br/poem>