भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
लखिया सा बाबा मेरी सामणी ।<br>
तेरे बाबा को अपणी दादी दिलादूँदिला दूँ<br>
होय लो न रुकमण सामणी ।<br>
लखिया सा ताऊ मेरी सामणी<br>
तेरे ताऊ को अपणी ताई दिलादूँदिला दूँ<br>
होय लो न रुकमण सामणी<br>
लखिया सा भाई मेरी सामणी<br>
तेरे भाई को अपणी बाहण दिलादूँदिला दूँ,<br>
होय लो न रुकमण सामणी<br>
लखिया सा बाबुल मेरी सामणी<br>
तेरे बाबुल को अपणी अम्मा दिलादूँदिला दूँ<br>
होय लो न रुकमण सामणी ।<br>