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{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>आजु हमर बड़ भाग रे पाहुन एला भगवान रे
पाहुन एला भगवान रे थार भरल पकवान रे
सागहि भोजन आधारे मधुमिसरिक संचार रे
मधुमिसरीक संचार रे धृतहि करू परचार रे
हम कते विचारब, गूने बूझल ऊँच-नीच रे
भनहि विद्यापति भान रे, सुपुरूष बसथि सुठाम रे
</poem>
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|भाषा=मैथिली
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<poem>आजु हमर बड़ भाग रे पाहुन एला भगवान रे
पाहुन एला भगवान रे थार भरल पकवान रे
सागहि भोजन आधारे मधुमिसरिक संचार रे
मधुमिसरीक संचार रे धृतहि करू परचार रे
हम कते विचारब, गूने बूझल ऊँच-नीच रे
भनहि विद्यापति भान रे, सुपुरूष बसथि सुठाम रे
</poem>