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{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>कानथि धीया के माय सुनहु जदुपति जी
भदेशी नहि करब जमाय भदेशे गमौताह, कहबनि प्रभु के बुझाय
घटक भंग घोंटब चानन देखि जनु भूलब, पाछा पछतौताह
कमलक फूल सन धीया, तैं ओहने बर लयताह
धीया संग रैनि गमाय, धीया बसि रहताह
भनहि विद्यापति गाओल, फल पाओल रे
गौरी के एहन सोहाग, सुन्दर वर पाओल रे
</poem>
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|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
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<poem>कानथि धीया के माय सुनहु जदुपति जी
भदेशी नहि करब जमाय भदेशे गमौताह, कहबनि प्रभु के बुझाय
घटक भंग घोंटब चानन देखि जनु भूलब, पाछा पछतौताह
कमलक फूल सन धीया, तैं ओहने बर लयताह
धीया संग रैनि गमाय, धीया बसि रहताह
भनहि विद्यापति गाओल, फल पाओल रे
गौरी के एहन सोहाग, सुन्दर वर पाओल रे
</poem>