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"[[लहरों में साथ रहे कोई / त्रिलोचन]]" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop]
|संग्रह=ताप के ताये हुए दिन / त्रिलोचन
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बाँह गहे कोई
अपरिचय के
सागर में
दृष्टि को पकड़ कर
कुछ बात कहे कोई ।
लहरें ये
लहरें वे
इनमें ठहराव कहाँ
पल
दो पल
लहरों के साथ रहे कोई ।
</poem>