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देह / अशोक कुमार शुक्ला

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|रचनाकार=अशोक कुमार शुक्ला
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देह एक बूंद ओस की नमी
......पाकर ठंडाना चाहते है सब
देह ऐक दवानल
......फंस कर दम तोडते है सब
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