भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
देखी इंसानियत
ठिठुरी हुई
</poem>
-'''डॉ0 [[सुदर्शन प्रियदर्शिनी]]'''
और इन्सानियात के इसी ख्याल को व्यक्त करती गुलजार साहब की यह त्रिवेणी-
<poem>
गोले, बारूद, आग, बम, नारे
बाज़ी आतिश की शहर में गर्म है
बंध खोलो कि आज सब "बंद" है
</poem>
--'''[[गुलज़ार]]'''
--'''[[गुलज़ार]]'''
</poem>
कविताकोश में सम्मिलित कुछ रचनाकार जिन्होने हिन्दी साहित्य की त्रिवेणी विधा में रचना की है इस प्रकार हैं-
*[[गुलज़ार]]
*[[त्रिपुरारि कुमार शर्मा]]
*[[विनय प्रजापति 'नज़र']]
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits