भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
चम्पई मौसम के संकेत बुझे शोले दहकाने लगे
मिली अमृत की स्वीकइति स्वीकृति हँसी
और फिर ज़हरीला इनकार
मान के बान प्रान को मिले