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माय-बाप की पाठ पढौलनि ? अयलहुँ की मनमे नेयारि कनिया।
पुरूष पछाड़नि थिकहुँ की बहुरिया,
सैंतू साड़ी, गहना ुगरियागुरिया,कोंढ़ कपै’ए सत्ते कहै ’ छी ताकू न आँखि गुडारि गुड़ारि कनिया।
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