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{{KKGlobal}} {{KKRachna
|रचनाकार=रमा द्विवेदी
}}
कहने को तो कुछ भी कहो, स्वीकार नहीं हमको।<br>{{KKPustakहम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥<br><br>|चित्र= खामोश भी जब हम रहे, कमजोर समझा |नाम=दे दो आकाश हमको|<br>रचनाकार=[[रमा द्विवेदी]]तोडेंगे मौन अपना, देंगे जवाब तुमको।<br>|प्रकाशक= हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥<br><br>|वर्ष= |भाषा=हिन्दीप्रश्नों के कठघरे में, घेरा है तुमने हमको।<br>|विषय=कविताएँलेंगे हिसाब इक|शैली=--इक, देना पडेगा तुमको।<br>हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥<br><br> पत्थर भी टूट जाए, कोसा है इतना हमको|<br>पृष्ठ=सभ्यता का पाठ, फिर से पढ़ना पडेगा तुमको|<br>ISBN=--हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको।<br><br> देखी नहीं जाती है, सफलता हमारी तुमको।<br>भारी पडी इक नारी, दे दी शिकस्त तुमको|<br>विविध=--हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥<br><br>}}
राज़ मुबारक तुमको, ताज़ मुबारक तुमको|<br>बस चाहते हैं इतना, * [[दे दो आकाश हमको|<br>हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥<br><br>(कविता)/ रमा द्विवेदी]]