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Kavita Kosh से
हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं ।
भरी थकन में सोते फिर भी —
धरती की सेवा करते हैं
लू हो चाहे ठण्ड सयानी
चाहे झर-झर बरसे पानी
हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं ।।
दूर शहर से रहने वाले
सीधे-सादे, भोले-भाले
हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं ।।
धरती को साड़ी पहनाते
दूर-दूर तक भूख मिटाते
हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं ।।
भरी थकन में सोते फिर भी
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