भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=जाँ निसार अख़्तर
}}
[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>उजड़ी-उजड़ी हुई हर आस लगेज़िन्दगी राम का बनबास लगे
उजड़ी-उजड़ी तू कि बहती हुई हर आस लगे<br>नदिया के समानज़िन्दगी राम का बनबास तुझको देखूँ तो मुझे प्यास लगे<br><br>
तू कि बहती हुई नदिया के समान<br>फिर भी छूना उसे आसान नहींतुझको देखूँ तो मुझे प्यास इतनी दूरी पे भी, जो पास लगे<br><br>
फिर भी छूना उसे आसान नहीं<br>वक़्त साया-सा कोई छोड़ गयाइतनी दूरी पे भी, ये जो पास इक दर्द का एहसास लगे<br><br>
वक़्त साया-सा कोई छोड़ गया<br>ये जो एक इक दर्द का एहसास लहर किसी युग की कथामुझको गंगा कोई इतिहास लगे<br><br>
एक इक लहर किसी युग की कथा<br>मुझको गंगा कोई इतिहास लगे<br><br> शे’र-ओ-नग़्मे से ये वहशत तेरी<br>खुद तिरी रूह का इफ़्लास लगे <br/poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,148
edits