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|रचनाकार=पीयूष दईया
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<poem>
मुझे थूक की तरह छोड़कर चले गये
पिता घर जाते हो
गति होगी
जहां तक वहीं तक तो जा सकोगे
--ऐसा सुनता रहा हूं
जलाया जाते हुए
अपने को
क्या सुन रहे थे
आत्मा
शव को जला दो
वह लौट कर नहीं आएगा
</poem>
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मुझे थूक की तरह छोड़कर चले गये
पिता घर जाते हो
गति होगी
जहां तक वहीं तक तो जा सकोगे
--ऐसा सुनता रहा हूं
जलाया जाते हुए
अपने को
क्या सुन रहे थे
आत्मा
शव को जला दो
वह लौट कर नहीं आएगा
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