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पीठ कोरे पिता-1 / पीयूष दईया

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<poem>
मुझे थूक की तरह छोड़कर चले गये
पिता घर जाते हो
गति होगी
जहां तक वहीं तक तो जा सकोगे

--ऐसा सुनता रहा हूं
जलाया जाते हुए
अपने को

क्या सुन रहे थे
आत्मा

शव को जला दो
वह लौट कर नहीं आएगा
</poem>
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