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सलूक / राहुल राजेश

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<poem>
पता नहीं
हिटलर को पता था कि नहीं
कि पूरे विश्व में अपना कब्जा जमाने का
फितूर पालने वाला एक दिन खुद ही
खत्म कर लेगा अपने आप को
एक बंद कोठरी में

पता नहीं
सद्दाम को पता था कि नहीं
कि पूरे इराक में अपनी तानाशाही जमाने वाला
एक दिन धर दबोचा जाएगा
किसी सुरंग में

पता नहीं
लादेन को पता था कि नहीं
कि जो हश्र हुआ सद्दाम का
वही हश्र होना था उसका भी
एक न एक दिन

पता नहीं
उन्हें पता है कि नहीं
कि जो सलूक आज वे
कर रहे हैं दुनिया के साथ
वही सलूक दुनिया भी
एक दिन करेगी उनके साथ .
</poem>
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