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संगति-2 / नीलोत्पल

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<poem>
मेरी अवस्था एक खोए नाविक की है
जो समुद्र के बीचों बीच याद करता है तुम्हें

अंत में
मैं भूल जाता हूं कि
नावें तुम्हारे और मेरे बीच
डूब जाती हैं
समुद्र हमारी कब्र का नाम है
</poem>
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