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<poem>स्वतंत्र भारत के बेटे और बेटियो !<br>माताओ और पिताओ, <br>आओ, कुछ चमत्कार दिखाओ। <br>नहीं दिखा सकते ?<br>तो हमारी हाँ में हाँ ही मिलाओ। <br>हिंदुस्तान, पाकिस्तान अफगानिस्तान<br>मिटा देंगे सबका नामो-निशान<br>बना रहे हैं-नया राष्ट्र ‘मूर्खितान’<br>आज के बुद्धिवादी राष्ट्रीय मगरमच्छों से<br>पीड़ित है प्रजातंत्र, भयभीत है गणतंत्र<br>इनसे सत्ता छीनने के लिए<br>कामयाब होंगे मूर्खमंत्र-मूर्खयंत्र<br>कायम करेंगे मूर्खतंत्र।<br><br>
हमारे मूर्खिस्तान के राष्ट्रपति होंगे-<br>तानाशाह ढपोलशंख<br>उनके मंत्री (यानी चमचे) होंगे-<br>खट्टासिंह, लट्ठासिंह, खाऊलाल, झपट्टासिंह<br>रक्षामंत्री-मेजर जनरल मच्छरसिंह<br>राष्ट्रभाषा हिंदी ही रहेगी, लेकिन बोलेंगे अँगरेजी। <br>अक्षरों की टाँगें ऊपर होंगी, सिर होगा नीचे, <br>तमाम भाषाएँ दौड़ेंगी, हमारे पीछे-पीछे।<br>सिख-संप्रदाय में प्रसिद्ध हैं पाँच ‘ककार’-<br>कड़ा, कृपाण, केश, कंघा, कच्छा। <br>हमारे होंगे पाँच ‘चकार’-<br>चाकू, चप्पल, चाबुक, चिमटा और चिलम।<br><br>
इनको देखते ही भाग जाएँगी सब व्याधियाँ<br>मूर्खतंत्र-दिवस पर दिल खोलकर लुटाएँगे उपाधियाँ<br>मूर्खरत्न, मूर्खभूषण, मूर्खश्री और मूर्खानंद।<br><br>
प्रत्येक राष्ट्र का झंडा है एक, हमारे होंगे दो, <br>कीजिए नोट-लँगोट एंड पेटीकोट <br>जो सैनिक हथियार डालकर <br>जीवित आ जाएगा<br>उसे ‘परमूर्ख-चक्र’ प्रदान किया जाएगा। <br>सर्वाधिक बच्चे पैदा करेगा जो जवान<br>उसे उपाधि दी जाएगी ‘संतान-श्वान’<br>और सुनिए श्रीमान-<br>मूर्खिस्तान का राष्ट्रीय पशु होगा गधा, <br>राष्ट्रीय पक्षी उल्लू या कौआ, <br>राष्ट्रीय खेल कबड्डी और कनकौआ। <br>राष्ट्रीय गान मूर्ख-चालीसा, <br>राजधानी के लिए शिकारपुर, वंडरफुल !<br>राष्ट्रीय दिवस, होली की आग लगी पड़वा। <br><br>
प्रशासन में बेईमान को प्रोत्साहन दिया जाएगा, <br>ईमानदार सुर्त होते हैं, बेईमान चुस्त होते हैं। <br>वेतन किसी को नहीं मिलेगा, <br>रिश्वत लीजिए, <br>सेवा कीजिए !<br><br>
‘कीलर कांड’ ने रौशन किया था<br>इंगलैंड का नाम, <br>करने को ऐसे ही शुभ काम-<br>खूबसूरत अफसर और अफसराओं को छाँटा जाएगा<br>अश्लील साहित्य मुफ्त बाँटा जाएगा। <br><br>
पढ़-लिखकर लड़के सीखते हैं छल-छंद, <br>डालते हैं डाका, <br>इसलिए तमाम स्कूल-कालेज <br>बंद कर दिए जाएँगे ‘काका’।<br>‘काका'।उन बिल्डिगों में दी जाएगी ‘हिप्पीवाद’ की तालीम <br>उत्पादन कर से मुक्त होंगे<br>भंग-चरस-शराब-गंजा-अफीम<br>जिस कवि की कविताएँ कोई नहीं समझ सकेगा, <br>उसे पाँच लाख का ‘अज्ञानपीठ-पुरस्कार मिलेगा। <br>न कोई किसी का दुश्मन होगा न मित्र, <br>नोटों पर चमकेगा उल्लू का चित्र !<br><br>
नष्ट कर देंगे-<br>धड़ेबंदी गुटबंदी, ईर्ष्यावाद, निंदावाद। <br>मूर्खिस्तान जिंदाबाद !</poem>