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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=काका हाथरसी|अनुवादक=|संग्रह=काका के व्यंग्य बाण / काका हाथरसी}}{{KKCatKavita}}<poem>परमात्मा ने आत्मा बख़्शी है श्रीमान । करे आत्महत्या उसे समझो मूर्ख महान ॥ समझो मूर्ख महान बुरे दिन वापस जाएँ । अटल नियम है दु:ख के बाद सुखानन्द आएँ ॥ मिली आत्मा, प्रभु की समझो इसे अमानत । लानत उन्हें अमानत में जो करें खयानत ॥ ईश्वर ने जीवन दिया, किया उसे स्वीकार | भाग्यहीन कुछ सरफिरे, करें मौत से प्यार || करें मौत से प्यार, जवाँ लड़के आते हैं | उग्रवाद आतंकवाद में घुस जाते हैं || करें देश से द्रोह, विदेशी राह पर भटकें | कोई जेल में सड़ें, कोई फाँसी पर लटकें ||</poem>