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'1 इधर नहीं आयी तुम्हारी याद अपना चेहरा नहीं देखा इ...' के साथ नया पन्ना बनाया
1
इधर
नहीं आयी
तुम्हारी याद
अपना चेहरा नहीं देखा इधर
आईना देखता पर दाढी बनाने भर
यूं
भूल सा जाने पर
दुखी नहीं
खुश भी नहीं
कि चलो अच्छा हुआ
नहीं
डरता नहीं
कि इस तरह भूल ही जाउंगा कभी
2
अनुपस्थिति तुम्हारी
कभी-कभी
खडी हो जाती है
मुकाबिल
पडाड सी
मौसम बदलने को होता है
हरसिंगार
बिछ रहा होता है बाहर
तब
निर्द्वद्व होती तुम्हारी हंसी
झड जाती है भीतर
3
तुम्हारी उपस्थ्िाति
एक वजनी पत्थर
उठाता तो पता चलता ताकत का
उछाला नहीं जा सकता जिसे
टिकाना होता है छाती पर
तब गहराती है नींद ।
1997
इधर
नहीं आयी
तुम्हारी याद
अपना चेहरा नहीं देखा इधर
आईना देखता पर दाढी बनाने भर
यूं
भूल सा जाने पर
दुखी नहीं
खुश भी नहीं
कि चलो अच्छा हुआ
नहीं
डरता नहीं
कि इस तरह भूल ही जाउंगा कभी
2
अनुपस्थिति तुम्हारी
कभी-कभी
खडी हो जाती है
मुकाबिल
पडाड सी
मौसम बदलने को होता है
हरसिंगार
बिछ रहा होता है बाहर
तब
निर्द्वद्व होती तुम्हारी हंसी
झड जाती है भीतर
3
तुम्हारी उपस्थ्िाति
एक वजनी पत्थर
उठाता तो पता चलता ताकत का
उछाला नहीं जा सकता जिसे
टिकाना होता है छाती पर
तब गहराती है नींद ।
1997