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डल से लोहित तक ये बादल / राजेन्द्र गौतम
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21:26, 25 अक्टूबर 2014
<poem>
डल से लोहित तक ये बादल
खबरें
ख़बरें
ही बरसाते ।
रोज़ विमानों से गिरतीं हैं
रेाटी
रोटी
की अफ़वाहें
किन्तु कसे हैं साॅंप सरीखी
तन लहरों की बाॅंहें
अनिल जनविजय
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