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<poem>
डल से लोहित तक ये बादल
खबरें ख़बरें ही बरसाते ।
रोज़ विमानों से गिरतीं हैं
रेाटी रोटी की अफ़वाहें
किन्तु कसे हैं साॅंप सरीखी
तन लहरों की बाॅंहें
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