भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान
|संग्रह=
}}
{{KKCatNavgeet}}
<Poem>
एक प्रवासी
भँवरा है
रंग-गंध का गाँव है
फूलों को
वह भरमाता है
मीठी-मीठे
गीत सुना कर
और हृदय में
बस जाता है
मादक-मधु
मकरंद चुरा कर
निष्ठुर,
सुधि की धूप बन गया
विरह-गीत की छाँव है
बीत रही जो
फूलों पर वह
देख-देख कलियां
चौकन्ना
सहज नहीं है
उसका मिल
बैठा
अंतर में जो बन्ना
पता चला
वह बहुत गहन है
उम्र कागज़ी नाव है
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान
|संग्रह=
}}
{{KKCatNavgeet}}
<Poem>
एक प्रवासी
भँवरा है
रंग-गंध का गाँव है
फूलों को
वह भरमाता है
मीठी-मीठे
गीत सुना कर
और हृदय में
बस जाता है
मादक-मधु
मकरंद चुरा कर
निष्ठुर,
सुधि की धूप बन गया
विरह-गीत की छाँव है
बीत रही जो
फूलों पर वह
देख-देख कलियां
चौकन्ना
सहज नहीं है
उसका मिल
बैठा
अंतर में जो बन्ना
पता चला
वह बहुत गहन है
उम्र कागज़ी नाव है
</poem>