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बापू की विदा / रामकुमार वर्मा

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|रचनाकार=रामकुमार वर्मा
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आज बापू की विदा है!
अब तुम्हारी संगिनी यमुना,त्रिवेणी,नर्मदा है!
आज बापू की विदा है!<br>अब तुम्हारी संगिनी यमुना,त्रिवेणी,नर्मदा है!<br><br> तुम समाए प्राण में पर<br>प्राण तुमको रख न पाए<br>तुम सदा संगी रहे पर<br>हम तुम्हीं को छोड़ आए<br>यह हमारे पाप का विष ही हमारे उर भिदा है!<br>आज बापू की विदा है!<br><br>
सो गए तुम किंतु तुमने<br>जागरण का युग दिया है<br>व्रत किए तुमने बहुत अब<br>मौन का चिर-व्रत लिया है!<br>अब तुम्हारे नाम का ही प्राण में बल सर्वदा है!<br>
आज बापू की विदा है!
</poem>
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