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Kavita Kosh से
|रचनाकार=रामकुमार वर्मा
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आज बापू की विदा है!
अब तुम्हारी संगिनी यमुना,त्रिवेणी,नर्मदा है!
सो गए तुम किंतु तुमने<br>जागरण का युग दिया है<br>व्रत किए तुमने बहुत अब<br>मौन का चिर-व्रत लिया है!<br>अब तुम्हारे नाम का ही प्राण में बल सर्वदा है!<br>
आज बापू की विदा है!
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