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07:19, 18 नवम्बर 2014
|रचनाकार= मीराबाई
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[[Category:पद]]{{KKAnthologyLove}}{{KKCatPad}}<poem>हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय।<br>घायल की गति घायल जाणै, जो कोई घायल होय।<br>जौहरि की गति जौहरी जाणै, की जिन जौहर होय। <br>सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस बिध होय।<br>गगन मंडल पर सेज पिया की किस बिध मिलणा होय।<br>दरद की मारी बन-बन डोलूँ बैद मिल्या नहिं कोय।<br>मीरा की प्रभु पीर मिटेगी, जद बैद सांवरिया होय।<br><br/poem>