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Kavita Kosh से
मेले -ठेले गूँजेगा
खुशियों का आलाप । आलाप।
बेकारी-लाचारी अब
सुख की शीतल छाँव
चौपालों पे रात -दिन चैन का होगा जाप । जाप।
वचनबद्ध जब राष्ट्र हो
हर लेगा सद्भाव अब
मानवता का ताप
अच्छे दिन की सुन ली हमने
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