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नमन तुम्हें भारती हमारा।
अभिनन्दन हे मात तुम्हारा
 
नील गगन के छोर-छोर से
कण-कण से और पोर-पोर से
गूँज रहा मृदु गान यह प्यारा
अभिनंदन भारती तुम्हारा।
</poem>
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